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दाव पंचायत की बदलती तस्वीर: कैसे सुषुमलता ने जगा दी उम्मीद

गांव की बेटी बनी बदलाव की नेता – सुषुमलता की कहानी

“जहाँ सिस्टम हार मान लेता है, वहाँ एक महिला ने ग्राम को नई उम्मीद दी।” यही मंत्र लेकर सुषुमलता कुशवाहा ने भोजपुर (बिहार) के दाव पंचायत में स्वास्थ्य, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण की वो मिसाल कायम की, जिसने पूरे जिले को झकझोर दिया। साधारण पृष्ठभूमि से उठकर कैसे बनीं ये लोकल हीरो, जानिए उनकी प्रेरणादायक यात्रा।

हीरो का परिचय

सुषुमलता कुशवाहा, 38 वर्ष, दाव पंचायत की निर्वाचित मुखिया हैं। एक दलित-आदिवासी बहुल क्षेत्र में जन्मी–बढ़ी, उनका परिवार बेहद साधारण जीवन जीता था। पिता खेतों में मजदूरी करते और मां घर संभालती थीं। बचपन से ही उन्हें समाज सेवा का जुनून था, लेकिन संसाधनों की कमी ने शुरुआती कदमों में कई बाधाएँ खड़ी कर दीं।

संघर्ष और बदलाव की कहानी

महिला सशक्तिकरण और लोकहित के लिए सुषुमलता ने जो कदम उठाए, वे निम्नलिखित हैं:

  • स्वास्थ्य सुधार: गाँव में फ़िलारियासिस, डेंगू व रोटावायरस जैसी बीमारियाँ फैली थीं। सुषुमलता ने पंचायत निधि से मोबाइल मेडिकल कैंप लगवाए और 6 महीने में 800 से अधिक लोगों का मुफ्त स्वास्थ्य परीक्षण कराया। परिणामस्वरूप बीमारी का प्रसार 70% तक कम हुआ।
  • शिक्षा का प्रकाश: बाल विवाह रोकने के लिए समितियाँ बनाईं और 12 शिक्षा मेले आयोजित किए। इससे लड़कियों का स्कूल एडमिशन 40% बढ़ा, dropout दर घटकर 5% रह गई।
  • महिला उद्यमिता: सैनिटरी नैपकिन बनाकर बेचने वाली एक महिला SHG यूनिट स्थापित की, जिसमें आज 30 महिलाएँ काम करती हैं। इससे उन्हें ₹5,000–₹8,000 महीने का आय स्रोत मिला।
  • स्वच्छता एवं पेयजल: 20 सार्वजनिक शौचालय और 15 हैंडपंप लगवाए। गाँव में खुले में शौच की प्रथा समाप्त हुई और पानी की किल्लत दूर हुई।
  • सफाई अभियान: “स्वच्छ दाव–स्वस्थ दाव” नाम से हर महीने सफाई ड्राइव आयोजित की, जिसमें 200+ युवा स्वयंसेवी जुड़े।

आज का प्रभाव

इन पहलों से दाव पंचायत का चेहरा पूरी तरह बदल चुका है:

  • स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण स्थानीय अस्पताल में मरीजों की संख्या 50% तक बढ़ी, पर गंभीर बीमारियाँ घटीं।
  • स्कूलों में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति रोजाना 95% के पार पहुंच गई।
  • महिलाओं की शादी-बाहर जाने की आज़ादी और आत्म-आधारिता दोनों में इजाफा हुआ है।
  • सोशल मीडिया पर “#LocalHeroSushumlata” टैग के साथ उनकी सफलता वायरल हुई, जिससे आसपास के 5 गाँव ने भी उनका मॉडल अपनाया।

प्रेरणादायक निष्कर्ष

सुषुमलता कुशवाहा ने यह सिद्ध कर दिया कि सच्ची नेतृत्व भावना और समर्पण से कोई भी छोटा समुदाय भी बड़े बदलाव की दिशा में कदम बढ़ा सकता है। उनकी कहानी यह याद दिलाती है कि जब एक महिला उठ खड़ी होती है, तो पूरा समाज मजबूत बनता है।

क्या आपके गांव में भी कोई ऐसा लोकल हीरो हैं? कमेंट करके बताएं, हम उनकी कहानी “Apna Zila” पर प्रकाशित करेंगे!

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